यहां महिलाएं कई मर्दों के साथ करती है ये काम, रोज नई मर्द की रहती है तलाश

दुनिया बहुत बड़ी है और यहां के हर कोने में लोगों की अपनी-अपनी परंपराएं और रिवाज़ हैं. कुछ रिवाज़ तो हमें अपने आसपास ही लगते हैं तो कुछ ऐसे होते हैं, जिन्हें सुनकर हम दंग रह जाते हैं.
आप अक्सर ऐसी परंपराओं का पालन करते हुए महिलाओं को ही देखते होंगे. मसलन अफ्रीकन जनजातियों में महिलाओं को पुरुषों से पिटना पड़ता है और कपड़े पहनने का रिवाज़ नहीं होता है. हालांकि आज हम आपको जो रिवाज़ बताने जा रहे हैं, वो इन सबसे अलग है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ दूर-दराज़ की जनजातियों में ही नहीं बल्कि हमारे देश में भी इस तरह की परंपराएं पाई जाती हैं, जो महिलाओं के लिहाज़ से काफी अजीब होती हैं. महिलाओं के अधिकारों और उनकी पुरुषों से बराबरी की बातें खूब होती हैं. हालांकि आपको शायद ही ये बात पता होगी कि हमारे देश में कुछ जगहों पर आज भी महिलाएं कई पुरुषों से शादी कर सकती हैं.
एक महिला के होते हैं कई पति
आपने पुराने ज़माने में राजा-महाराजाओं की कई पत्नियां होने की बातें सुनी होंगी लेकिन आज तक सिर्फ एक ही उदाहरण ऐसा मिलता है, जब एक महिला के कई पति थे. ये उदाहरण महाभारत काल है.
पांचाली यानि द्रौपदी की शादी पांच पांडवों से हुई थी और वे उनकी पत्नी बनकर रहीं. आज भी हमारे देश के हिमाचल और केरल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बहुपति की प्रथा चली आ रही है. यहां एक महिला की शादी कई पुरुषों से होती है और वो समय का सामंजस्य बनाकर सभी पुरुषों के साथ रहती है और उनसे संतानें पैदा करती है.
कई हिस्सों में आज भी है ये प्रथा
देश के अलग-अलग हिस्सों में ये रिवाज़ अलग-अलग रूपों में मौजूद है. दक्षिण भारत के आदिवासी इलाके खासकर टोडा जनजाति में बहुपति की प्रथा चली आ रही है. इसके अलावा त्रावणकोर और मालाबार के नायरों में भी ये रिवाज़ चलता है.
बात उत्तर भारत की करें तो जौनसर भवर, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और पंजाब के मालवा में ये अजीबोगरीब रिवाज़ मिल जाता है. यहां कई पतियों की एक ही पत्नी होती है. ऐसी शादी से उत्पन्न संतानें किसी एक की नहीं बल्कि सभी की मानी जाती हैं. ये लोग खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं, ऐसे में वे आज भी बहुपति की परंपरा का पालन कर रहे हैं.